परदेसी पिया आ जाओ तुम इस बार होली में। इंतजार में तेरे बैठी हूँ भर के रंग पिचकारी में। परदेसी पिया आ जाओ तुम इस बार होली में। इंतजार में तेरे बैठी हूँ भर के रंग पिच...
डोर के कान्हे से, बँधी वो मेरे हृदय से थी। पतंग मेरी परदेशी हो गयी, डोर के कान्हे से, बँधी वो मेरे हृदय से थी। पतंग मेरी परदेशी हो गयी,
बरसे गगन से बारिश की झड़ी पर कुँवारे दो तन में कुछ आग सी लगी है। बरसे गगन से बारिश की झड़ी पर कुँवारे दो तन में कुछ आग सी लगी है।
लिपटी रहूँ पिया संग कैसे देह का चंदन घिसूँ, लिपटी रहूँ पिया संग कैसे देह का चंदन घिसूँ,
शर-शर करती भाग रही हूँ, शहर-गाँव मै लाँघ रही हूँ शर-शर करती भाग रही हूँ, शहर-गाँव मै लाँघ रही हूँ
मैं आज भी कैसे पराई हूँ मैं आज भी कैसे पराई हूँ